स्वर्णप्राशन: Swarnaprashan
नीलकंठ स्वर्णप्राशन: बच्चों के लिए आयुर्वेदिक इम्यूनिटी बूस्टर
स्वर्णप्राशन के वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक लाभ
✅ इम्यूनिटी बूस्टर: बच्चों के शरीर की प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे वे सर्दी, खांसी और मौसमी बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं।
✅ बुद्धि और स्मरण शक्ति में वृद्धि: मानसिक विकास को प्रोत्साहित करता है और बच्चों को अधिक एकाग्र बनाता है।
✅ पाचन तंत्र को सुधारता है: पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर कर पाचन क्रिया को मजबूत बनाता है।
✅ स्वस्थ शारीरिक विकास: हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, जिससे बच्चों की शारीरिक वृद्धि में मदद मिलती है।
✅ आँखों की रोशनी बढ़ाता है: नेत्रों की सेहत को बनाए रखने में मदद करता है और दृष्टि को तेज करता है।
✅ भावनात्मक संतुलन: बच्चों को शांत और खुशमिजाज बनाए रखता है, जिससे वे आत्मविश्वास से भरपूर महसूस करते हैं।
✅ संक्रमण से बचाव: वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है, जिससे बच्चों को बार-बार होने वाले संक्रमण से बचाया जा सकता है।
नीलकंठ स्वर्णप्राशन के प्रमुख घटक और उनके लाभ
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स्वर्ण भस्म (Gold Bhasma):
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मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाता है।
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याददाश्त और एकाग्रता को बेहतर बनाता है।
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संपूर्ण प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है।
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घृत (गाय का घी):
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तंत्रिका तंत्र को पोषण देता है।
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पाचन तंत्र को सुधारता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
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ब्राह्मी (Brahmi):
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मानसिक शांति और तनाव मुक्ति में सहायक।
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बुद्धि और स्मरण शक्ति को बढ़ाता है।
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शंखपुष्पी (Shankhpushpi):
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मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाकर बच्चों की एकाग्रता और सीखने की क्षमता में सुधार करता है।
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शहद (Honey):
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प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
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शरीर को डिटॉक्स करता है और पौष्टिकता प्रदान करता है।
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स्वर्णप्राशन सेवन विधि और सही मात्रा
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आयु: नवजात शिशु से लेकर 16 वर्ष तक के बच्चों के लिए उपयुक्त।
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समय:
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इसे पुष्य नक्षत्र के दिन देना सबसे अधिक लाभकारी होता है।
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प्रतिदिन सुबह खाली पेट भी इसका सेवन किया जा सकता है।
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मात्रा:
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0-1 वर्ष: 1-2 बूँद
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1-5 वर्ष: 3-5 बूँद
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5-16 वर्ष: 5-10 बूँद
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स्वर्णप्राशन को नियमित रूप से देने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
स्वर्णप्राशन का सही समय और विधि
आयुर्वेद के अनुसार, स्वर्णप्राशन का सेवन विशेष रूप से पुष्य नक्षत्र के दिन करना अत्यंत लाभकारी होता है। इस दिन दिया गया स्वर्णप्राशन बच्चों के संपूर्ण स्वास्थ्य, बुद्धि और इम्यूनिटी को दोगुना प्रभावी बनाता है।
स्वर्णप्राशन संस्कार का महत्त्व
स्वर्णप्राशन संस्कार आयुर्वेद में बताए गए 16 संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है। यह संस्कार शिशु को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाने के लिए किया जाता है। यह न केवल वर्तमान पीढ़ी बल्कि आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है।
नीलकंठ स्वर्णप्राशन क्यों चुनें?
✅ 100% शुद्ध और प्राकृतिक आयुर्वेदिक सामग्री से बना।
✅ बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को बढ़ावा देता है।
✅ किसी भी प्रकार के हानिकारक रसायन या परिरक्षकों (Preservatives) से मुक्त।
✅ आयुर्वेद विशेषज्ञों द्वारा प्रमाणित।
निष्कर्ष:
नीलकंठ स्वर्णप्राशन बच्चों के संपूर्ण स्वास्थ्य, रोग प्रतिरोधक क्षमता और मानसिक विकास को बढ़ाने के लिए एक उत्तम आयुर्वेदिक उपाय है। इसका नियमित सेवन बच्चों को न केवल स्वस्थ रखता है, बल्कि उनके भविष्य को भी उज्जवल बनाता है। यह एक प्राकृतिक और वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित तरीका है, जिससे बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है और उनका मानसिक विकास तेजी से होता है।
स्वस्थ बचपन, उज्ज्वल भविष्य – नीलकंठ स्वर्णप्राशन के साथ!
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