कमर की दबी हुई नस का 100% इलाज
नस दबना एक ऐसी स्थिति है जब आसपास के ( tissues) ऊतकों, जैसे हड्डियों, cartilage, मांसपेशियों या टेंडन द्वारा तंत्रिका (nerve) पर बहुत अधिक दबाव डाला जाता है।
यह दबाव दर्द, झुनझुनी,
सुन्नता या कमजोरी का कारण बन सकता है।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी और लाइफस्टाइल की दिक्कतों की वजह से लोगों को तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है । लगातार लैपटाप पर काम करना, एसी जगहों पर रहना, सूरज की किरणों का ना मिलना और बहुत कम चलने फिरने की वजह से कई दिक्कतें आती हैं। इन दिक्कतों में नसों का दबना एक आम समस्या बन कर उभर रही है। नसों के दबने से बहुत सी समस्या होती है, दर्द से लेकर दर्द कभी-कभार इतना तेज होता है, जीना दूभर कर सकता है।
100% cure for pinched waist nerve
दबी नस की स्थिति कहीं एक नहीं, बल्कि पूरे शरीर में कई क्षेत्रों में हो सकती है। उदाहरण के लिए, निचली रीढ़ में एक हर्नियेटेड डिस्क तंत्रिका(nerve) जड़ पर दबाव डाल सकती है। इससे दर्द हो सकता है जो आपके पैर के पिछले हिस्सों तक पहुंच सकता है। इसी तरह, आपकी कलाई में एक चुटकी तंत्रिका आपके हाथ और उंगलियों (कार्पल टनल सिंड्रोम) में दर्द और सुन्नता पैदा कर सकती है।
v नस दबने के लक्षण
दबी हुई नस या तंत्रिका के संकेत और लक्षणों
में शामिल हैं:
प्रभावित तंत्रिका के क्षेत्र में महसूस करने
की शक्ति का खत्म होना या फिर कम हो जाना। तेज, दर्द या जलन
के साथ ऐसा दर्द, जो बाहर की ओर फैलता है या फिर फैलता हुआ
महसूस होना झुनझुनी, पिन और सुई चुभने जैसी संवेदनाओं का
अहसास (पेरेस्टेसिया) प्रभावित क्षेत्र में मांसपेशियों की कमजोरी बार-बार महसूस
होना कि एक पैर या हाथ 'सो गया है' जब
आप सो रहे हों, तो नस के दबने से संबंधित समस्याएं और भी
बदतर हो सकती हैं। उपचारों के साथ आराम से अधिकांश लोग कुछ दिनों या हफ्तों के
भीतर दबी नस की समस्या से निजात पा सकते हैं।
कभी-कभी, दबी हुई नस के दर्द को दूर करने के लिए
सर्जरी की आवश्यकता भी हो सकती है।
v दबी हुई नस का उपचार
आराम
एक दबी हुई नस तंत्रिका की स्थिति के लिए सबसे
ज्यादा कारगर उपचार आराम है। डॉक्टर ऐसी किसी भी गतिविधि को रोकने के लिए कहेगा जो
संपीड़न का कारण बनती है या बढ़ जाती है। दबी हुई नस के स्थान के आधार पर, आपको क्षेत्र को स्थिर करने के लिए एक पट्टी, कॉलर या
ब्रेस की आवश्यकता हो सकती है। यदि आपके पास कार्पल टनल सिंड्रोम है, तो आपका डॉक्टर दिन के साथ-साथ रात में भी स्प्लिंट पहनने की सलाह दे सकता
है क्योंकि कलाई फ्लेक्स होती है और नींद के दौरान बार-बार फैलती है।
v शारीरिक
चिकित्सा या थेरैपी
एक थेरेपिस्ट की मदद भी दबी हुई नस की स्थिति
में बहुत कारगर साबित हो सकती है। थेरेपिस्ट ऐसे व्यायाम सिखा सकते हैं जो
तंत्रिका पर दबाव को दूर करने के लिए प्रभावित क्षेत्र में मांसपेशियों को मजबूत
और खिंचाव करता है। फिजियो थेरेपिस्ट या फिर फिजिकल थेरेपिस्ट उन गतिविधियों में संशोधन की भी निर्देश दे
सकते हैं जो दबी हुई तंत्रिका की स्थिति को बिगाड़ रहे हैं।
दवाएं
नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स जैसी
सूजन रोधी दवा और पेन किलर दर्द को दूर करने में मदद कर सकते हैं। तंत्रिका संबंधी
दर्द के इलाज के लिए अक्सर एंटीकॉन्वल्सेंट्स, और ट्राईसाइक्लिक
दवाएं के साथ ही एमिट्रिप्टिलाइन दवा का
भी उपयोग किया जाता है। दवा या इंजेक्शन द्वारा दिए गए कॉर्टिकोस्टेरॉइड दर्द और
सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
सर्जरी
यदि परंपरागत उपचार से कई हफ्तों या फिर कुछ
महीनों के बाद भी दबी हुई नस में सुधार नहीं होता है, तो आपको नस से किसी भी तरह का दबाव हटाने के लिए सर्जरी करानी पड़ सकती
है। दबी हुई तंत्रिका के स्थान के आधार पर अलग अलग तरह की सर्जरी की जाती है।
उदाहरण के लिए,सर्जरी में रीढ़ की हड्डी के स्पर्स या
हर्नियेटेड डिस्क के एक हिस्से को हटाने की आवश्यकता हो सकती है, या कार्पल लिगामेंट को तोड़ना ताकि तंत्रिका को कलाई से गुजरने के लिए
अधिक जगह मिल सके।
दबी हुई नस को ठीक करने का
आयुर्वेदिक उपाय
पलाश के पत्ते के ऊपर नीलकंठ तेल को लगाएं और
दबी हुई नस के हिस्से पर 10 मिनट के लिए चिपका दें
या किसी सूती कपड़े से बांध दें 10 मिनट के बाद खोलकर हल्के
हाथ से नीलकंठ roll on तेल की मालिश करें 10 मिनट में आराम देगा यह उपाय |
v दबी हुई नस को ठीक करने के आयुर्वेदिक औऱ घरेलू उपाय
नस दबने को हमेंशा ही गंभीरता से लेना चाहिए
क्योंकि एक छोटी सी चूक भी इसमें खतरनाक हो सकती है। अगर समय रहते ठीक से इलाज ना
किया जाय तो छोटी और सामान्य सी दिखने वाली तकलीफ काफी खतरनाक रूप ले सकती है।
आयुर्वेद में बहुत से ऐसे उपाय हैं, जो दबी हुई
नस को राहत देने में इस्तेमाल किए जा सकते
हैं। इनमें बहुत से तो ऐसे हैं जिनका उपयोग और उपचार सामान्य घरों में भी किया जा
सकता है। आइए इन उपायों पर नज़र डालते हैं
चूना
दबी हुई नस को राहत पहुंचाने में पान के पत्ते
पर प्रयोग किया जाने वाला चूना बहुत कारगरत साबित हो सकता है। इस चूने को लस्सी, दही, पानी, जूस में से किसी के
साथ भी लिया जा सकता है। दिन भर में चुटकी भर चूने का प्रयोग करना है। इस बात का
ध्यान रखें कि सुबह- सुबह खाली पेट इस नुस्खे को आजमाने पर दबी हुई नस में राहत
मिलती है।
मेथी के बीज
साइटिका और या सामान्य नसों का दर्द या फिर
नसों के दबने की तकलीफ मेथी के बीज हर स्थिति को ठीक करने में काफी लाभदायक साबित
होती है। इसके लिए मेथी के बीजों को पानी में भिगो दें। इसके बाद इसे बाद में पीस
लें और इसका लेप प्रभावित हिस्से पर लगाने पर काफी आराम मिलता है।
सिंगार का पौधा
सिंगार का पौधा दबी हुई नस को खोलने के लिए
घरेलू तौर पर सबसे ज्यादा प्रयोग किए जाने वाले आसान तरीकों में से एक है।
हरसिंगार के पत्तों को पानी में उबाल कर कुछ दिनों तक सेवन करने से दबी हुई नस में
काफी फायदा होता है। इसके लिए एक दिन में चाय या पांच पत्तों को पानी में उबालकर
पीना पर्याप्त है। हरसिंगार के पौधे के औषधीय गुणों का जिक्र शास्त्रों में भी है।
इसके पत्ते को पारिजात भी कहा जाता है। इन पत्तों का असर दबी हुई नस को खोलने में असर करता है।
सेंधा नमक
रुई या फिर सूती कपड़े में सेंधा नमक डालकर एक
पोटली बना लें। अब इस पोटली को एक बाल्टी गर्म पानी में डाल दें। इस पानी से नहाने
या फिर 30 मिनट के लिए उस पानी में बैठने से नसों का दर्द कम हो जाता है। वैसे
सेंधा नमक और गर्मपानी से मांसपेशियों को भी राहत मिलती है जिससे नस पर भी दबाव कम
होता है।
दबी हुई नस की स्थिति में जाने से कैसे बचें
सक्रिय रहें अपने पैरों को आपस में एक ऊपर एक
रखकर लंबे समय तक किसी एक स्थिति में न लेटें।
अपने
व्यायाम रुटीन में नसों की स्ट्रेंथनिंग और स्ट्रेचिंग के व्यायाम को शामिल
करें जिससे नसों में शक्ति और लचीलेपन आ सके।
स्वस्थ वजन बनाए रखें।
क्यों दबती है नस
हर्नियेटेड डिस्क के कारण दबी हुई नस
दबी हुई मीडियन नस
जब आसपास के ऊतकों द्वारा तंत्रिका पर बहुत
अधिक दबाव (संपीड़न) लगाया जाता है, तो नस दब
जाती है। कुछ मामलों में, यह टिश्यू,हड्डी
या कार्टिलेड के कारण हो सकता है, जैसे कि हर्नियेटेड
स्पाइनल डिस्क तंत्रिका जड़ को संकुचित करती है। अन्य मामलों में, मांसपेशियों या टेंडन की स्थिति इसका कारण बन सकते हैं।
कार्पल टनल सिंड्रोम के मामले में, विभिन्न प्रकार के ऊतक कार्पल टनल की माध्यिका तंत्रिका के संपीड़न के लिए
जिम्मेदार हो सकते हैं, जिसमें कनाल के भीतर सूजे हुए टेंडन,
सुरंग को संकरी करने वाली बढ़ी हुई हड्डी, या
एक मोटा और खराब हो चुका लिगमेंट शामिल है। कई अन्य स्थितियों के कारण ऊतक
तंत्रिका या तंत्रिकाओं पर दबाव बढ़ सकता है जिनमें शामिल हैं:
बार बार दोहराए जाने वाले काम से तनाव शौक या खेल गतिविधियां मोटापा
यदि तंत्रिका को केवल थोड़े समय के लिए दबी हुई हो, तो आमतौर
पर कोई स्थायी क्षति नहीं होती है। एक बार दबाव से राहत मिलने के बाद, तंत्रिका कार्य सामान्य हो जाता है। हालांकि,अगर
दबाव जारी रहता है, तो पुराना दर्द और स्थायी तंत्रिका क्षति
हो सकती है।
दबी नस को बढ़ाने वाले खतरे
निम्नलिखित कारकों से नस के दबने और उसमें
दर्द होने का खतरा बढ़ सकता है
महिलाओं में कार्पल टनल सिंड्रोम विकसित होने
की संभावना अधिक होती है, संभवतः छोटे कार्पल टनल होने
के कारण।
बोन स्पर्स
आघात या ऐसी स्थिति जिसके कारण हड्डी मोटी हो
जाती है,इसे बोन स्पर्स कहते हैं इसके लिए कई स्थितियां जिम्मेदार हैं जैसे कि
ऑस्टियोआर्थराइटिस आदि। बोन स्पर्स रीढ़ को सख्त कर सकते हैं और साथ ही उस स्थान
को भी संकीर्ण कर सकते हैं जहां आपकी नसें गुजरती हैं, इसके
नसों पर दबाव बढ़ जाता है।
रुमेटीइड गठिया के कारण होने वाली सूजन नसों
को संकुचित कर सकती है, खासकर आपके जोड़ों में।
थायरॉइड रोग वाले लोगों को कार्पल टनल
सिंड्रोम होने का अधिक खतरा होता है।
मधुमेह
मधुमेह से पीड़ित लोगों को तंत्रिका संपीड़न
का अधिक खतरा होता है।
अति प्रयोग
अगर किसी खास अंग का प्रयोग ऐसे काम या शौक के
लिए किया जाय जिनमें बार-बार हाथ, कलाई या कंधे की गति की
आवश्यकता होती है, जैसे टेनिस खेलना, वेटलिफ्टिंग,
असेंबली लाइन का काम, तो नस दबने की आशंका
बहुत बढ़ जाती है। हालांकि खेलों के मामले में अगर अच्छी तरह से वार्म आप और कूल
डाउन किया जाय तो ये समस्या आने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
मोटापा
अधिक वजन नसों पर दबाव डाल सकता है।
गर्भावस्था
गर्भावस्था से जुड़े पानी और वजन बढ़ने से
तंत्रिका मार्ग सूज सकते हैं, आपकी नसों को संकुचित कर
सकते हैं।
लंबे समय तक बिस्तर पर आराम
लंबे समय तक लेटने से तंत्रिका संपीड़न का
खतरा बढ़ सकता है।
कमर में दर्द की समस्या से कई लोग परेशान रहते
हैं। आजकल डेस्क जॉब के कारण ज्यादातर लोगों को कमर में दर्द की समस्या का सामना
करना पड़ता है। आमतौर पर ज्यादा देर बैठे रहने, एक करवट में
सोने, गलत पॉश्चर और मांसपेशियों में सूजन के कारण कमर में
दर्द की समस्या हो जाती है। लेकिन, कई बार कमर की नस दबने (Pinched
Nerve In Lower Back) के
कारण भी कमर में दर्द होने लगता है। कमर के निचले हिस्से में ब्लड सर्कुलेशन
प्रभावित होने पर मांसपेशियों में जकड़न हो जाती है, जिसकी
वजह से दर्द बढ़ जाता है। नस दबने के कारण नसों में ब्लड सर्कुलेशन सही तरह से
नहीं हो पाता है, जिससे नसों में सूजन और ब्लॉकेज हो जाती
है। कमर की नस दबने के कारण तेज दर्द होता है, जो कमर से
लेकर टांगो तक को प्रभावित कर सकता है। कई बार यह दर्द इतना बढ़ जाता है कि मरीज
को रोजमर्रा के काम करने में भी मुश्किल आने लगती है। कमर की नस दबने पर कई लक्षण
दिखाई देते हैं। इस लेख में हम आपको कमर की नस दबने के लक्षण और दबी नसों को खोलने
के उपाय बता रहे हैं |
दबी नसों को खोलने के उपाय
नीलकंठ JST D-9 और
नीलकंठ तेल सिर्फ यही है दबी हुई नस को खोलने का इलाज इस्तेमाल कीजिए और एक हफ्ते
में इसका रिजल्ट आपके सामने होगा |
Dr Rajesh Aggarwal (आयुर्वेदाचार्य)
Neelkanth Pharmacy India Pvt Ltd
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